मितव्ययिता का जीवन में,रखना सदा ध्यान
जीवन में सुख पाओगे, होगा सदा कल्याण
उपभोक्तावाद की संस्कृति में,सब भूला इंसान
आपाधापी में भाग रहा यह,जोड़ने को सामान
गाड़ी बंगला बैंक बैलेंस का,करता जोड़ तोड़
सुख की नींद तो हुई हराम,कैसी मच रही होड़
सादा जीवन उच्च विचार,कह गए धरती के लाल
मितव्ययिता की गांठ बांधकर, बुरा ना होगा हाल
नैतिकता का पालन होगा,हृदय में होंगे सद् विचार
समाज सौहार्द्रपूर्ण बनेगा,किसी पर ना होगा उधार
स्वरचित एवं मौलिक
अलका शर्मा, शामली, उत्तर प्रदेश