कहाँ गद्दार बसते है वो मिट्टी जान लेते है ।
लहू बहता जहाँ हर ज़िंदगी का सर कलम होता,
जनावर वो बशर होता जो निश्छल जान लेते है।
अज़ल तलवार रखते है रक़ीबों से बचाने हम ,
नहीं चुनते कोई पत्थर हीरो की ख़ान लेते है ।
खुदा के दिल में भारत है ज़मीं की शान है इंसां
अगर दुश्मन उठा ले आँख तोपें तान लेते है ।
वो हिंदुस्तान में रहता जिन्हें दिल से मुहब्बत हो,
ज़मीं की होड़ हो जिनको वो रेगिस्तान लेते हैं ।
हमी यूँ खो गये इतना मुहब्बत यादों में तेरी,
मुहब्बत को ही हम अपना पता अब मान लेते है ।
प्रज्ञा देवले✍