हवा में तिनके की तरह उड़ जाएंगी
रोक नहीं पाओगे तुम बढ़ते कदमों को
यह वो शमां है जो तूफानों में भी जगमगायेगी
गिन गिन कर हिसाब होगा जो सितम तुमने ढाए हैं
कीमत तो बसूल होगी उन आंसुओं की जो हमने बहाए हैं
समय कभी रुकता नहीं हमारा भी एक दिन आएगा
कटी हैं रातें जाग जाग कर दिन बेचैनी में बिताए हैं
मुंह में राम बगल में छुरी दबाते रहे
सामने सबके हमें जिगरी दोस्त बताते रहे
मंजिल की ओर जाता था जो रास्ता हमारी
गलत बताकर उस राह से हमें भटकाते रहे
विश्वासघात करके मौका नहीं छोड़ा हमें गिराने का
दिखावा बहुत करते रहे दोस्ती का रिश्ता निभाने का
बाल बांका हमारा न कर सके खुदा की इनायत रही
गुना भाग कर दिया था पूरा हमें मिटाने का
तेरी काली करतूतों का फल मिलेगा ज़रूर
आज नहीं तो कल मिलेगा जरूर
पल में पहुंच जाएगा रसातल में
उतर जाएगा तेरा सारा ग़रूर
रवींद्र कुमार शर्मा
घुमारवीं
जिला बिलासपुर हि प्र