हमसफ़र बनना है गर दिल में उतरकर देखना
गर करो शादी तो पहले दिल से सुंदर देखना
बिक न जाना गाड़ियों से ये सफ़र जन्मों का है
बिक गये तो ज़िंदगी होती है अजगर देखना
क्या कभी दिल भी बिका है चंद पैसों से कहीं
कितना खुश है बिक के इंसां तुम ये पुछकर देखना
रूह निकली हो बदन से ऐसे आती बेटी भी
गर समझना हमसफ़र माँ से बिछड़कर देखना
स्वर्ग सी बसती है दुनिया जो मुहब्बत में बिके
फिर सँवर जाए मुकद्दर भी पिघलकर देखना
क्यूँ जलाते हो बदन इंसान होकर भी सभी
ख़ाक़ हो जाओगे इक दिन तुम भी जलकर देखना
प्रज्ञा देवले✍