लोकल फोर वोकल

छप्पर में पल रहे लाल तुम भारत की तस्वीर हो

 पांव पालने बता रहे तुम भारत की  तकदीर हो

गुदड़ी भीतर छुपे लाल हैं यह किसने पहचाना है

खोज रहे जो बने तपस्वी तुम उनके  उपहार  हो


बहुत लुटेरों ने लूटा अब और नहीं  लुटने देना है

स्वयं कमाएं खुदही खाएं यह संकल्प हमें लेना है

माल स्वदेशी कर उत्पादन अपनाही बाजार बनाना

क्षमताओं पर करो भरोसा हमें आत्मनिर्भर होना है


आवाज़ दे रही भारतमाँ वोकल को लोकल बन जाओ

नम्बर वन है माल हमारा इसको ग्लोबल ब्रांड बनाओ

पले अमीरी में जो लल्लू उनको चलकर राह दिखाओ

चााउमीन को खाना छोड़ो अब अपने चूल्हे की खाओ


बच्चूलाल दीक्षित

दबोहा भिण्ड/ग्वालियर