अयोग्य करार दिए गए विधायकों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की याचिका, सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की गुहार

नयी दिल्ली : महाराष्ट्र के राजनीतिक उथलपुथल के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दाखिल कर गुहार लगाई गई है। इसके अनुसार, उस याचिका पर जल्द सुनवाई और निर्देश जारी होने चाहिए जिसमें कहा गया था कि एक बार अगर कैंडिडेट अयोग्य करार दे दिया जाता है तो उसे फिर उस टर्म में चुनाव लड़ने पर रोक लग जानी चाहिए। याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा था कि दसवीं अनुसूची के तहत अगर सदन के मेंबर को अयोग्य घोषित किया जाता है तो फिर सदन के उस कार्यकाल के लिए उसे दोबारा चुनाव लड़ने पर रोक होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से पिछले साल जवाब दाखिल करने को कहा था। 

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता और मध्यप्रदेश कांग्रेसी नेता जया ठाकुर की ओर से आवेदन दाखिल किया गया है और कहा गया है कि यह ममला सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल जनवरी से पेंडिंग है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान पिछले साल सात जनवरी को नोटिस जारी किया था। इस मामले में जल्द निर्देश जारी करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश की कांग्रेस नेता जया ठाकुर की ओर से अर्जी दाखिल कर गुहार लगाई गई है। याचिका में कहा गया है कि अनुच्घ्छेद-172 के तहत सदन के सदस्य का कार्यकाल पांच साल का होता है।

 एक बार अगर सदन से दसवीं अनुसूची के प्रावधान के तहत वह सदस्य अयोग्य हो जाता है तो उसे उस कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया है कि अगर कोई सदस्य पार्टी की सदस्यता को त्याग देता है तो वह भी दसवीं अनुसूची के दायरे में आना चाहिए और वह अयोग्य होना चाहिए। याचिका में बताया गया है कि देश भर में हाल में राजनीतिक पार्टियों ने अपनी सत्ता के लिए दूसरे दल के एमएलए से इस्तीफा दिलाया और फिर उन्हें मंत्रीपद दिया गया और दोबारा पार्टी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया। इसके लिए मणिपुर, कर्नाटक और मध्यप्रदेश का उदाहरण सामने है।