आपको बता दें कि भारत का पड़ोसी श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश को संकट से बाहर निकालने के लिए देश की कमान पूर्व प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे को सौंपी गयी है। फिलहाल नई सरकार के पास ईंधन भुगतान के लिए भी पैसा नहीं हैं। ऐसे में सरकार ने अपने पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार सुनिश्चित करने ताकि जरूरी खाद्य सामग्री और ईंधन की किल्लत नहीं हो, इसे देखते हुए यह फैसला लिया है। आपको बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण श्रीलंका इस साल अप्रैल में अपने अंतरराष्ट्रीय ऋण चुकाने के मामले में डिफॉल्टर घोषित हो गया था। हाल के दशकों में इस तरह से डिफॉल्टर घोषित होने वाला श्रीलंका एशिया का पहला देश है।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे जो फिलहाल वित्तमंत्री के प्रभार में भी हैं ने फॉरेन एक्सचेंज एक्ट के तहत अधिकतम विदेशी मुद्रा भंडार रखने की सीमा तय करने से जुड़ा आदेश जारी किया है। सरकार की ओर से यह आदेश श्रीलंका के सेंट्रल बैंक के गवर्नर नंदलाल वीरसिंघे के उस बयान के तकरीबन एक महीने से अधिक समय के बाद आया है जिसमें उन्होंने इंडिविजुअल्स के लिए विदेशी मुद्रा रखने की अधिकतम सीमा 15,000 अमेरिकी डॉलर से घटाकर 10,000 डॉलर करने करने की बात कही थी।
आपको बता दें कि श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के बीच आम लोगों को रसोई गैस और पेट्रोल-डीजल उपलब्ध करवाने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से उसके निर्यात के लिए भारत के क्रेडिट लाइन का उपयोग किया था। अपना क्रेडिट लाइन इस्तेमाल करने देने के लिए श्रीलंका सरकार की ओर से भारत का आभार भी जताया गया है।