किस राह पर चलूं?
किस डगर पर पग धरूं?
कुछ ना समझ में आए,
असमंजस में जी घबराए।।
ओ मेरे दाता,
भाग्य विधाता।
तू ही मेरी उलझन सुलझा दे,
अब तो कोई रस्ता दिखा दे।।
मैं हारा नही,
हौसलों मे भी कमी नही।
संघर्ष करता रहा,
विफल ही होता रहा।
ओ मेरे दाता,
भाग्य विधाता।
कहां मुझसे चूक हुई?
कहां मुझसे भूल हुई?
रोशनी की किरण दिखा दे,
बुझते मन का दीपक जला दें।
करूंगा मेहनत ना पीछे हटूंगा,
अपनी कृपा मुझ पर बरसा दे।।
ओ दाता,
भाग्य विधाता।
मेरी नैया अब तू पार लगा दे,
मेरी नैया अब तू पार लगा दे।।
प्रियंका त्रिपाठी 'पांडेय'
प्रयागराज उत्तर प्रदेश