केंद्र ने राजद्रोह के लंबित मामलों के संबंध में न्यायालय को सुझाव दिया कि इस प्रकार के मामलों में जमानत याचिकाओं पर शीघ्रता से सुनवाई की जा सकती है, क्योंकि सरकार हर मामले की गंभीरता से अवगत नहीं हैं और ये आतंकवाद, धन शोधन जैसे पहलुओं से जुड़े हो सकते हैं। विधि अधिकारी ने कहा, ‘अंतत: लंबित मामले न्यायिक मंच के समक्ष हैं और हमें अदालतों पर भरोसा करने की जरूरत है।
मामले पर सुनवाई जारी है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से कहा था कि राजद्रोह के संबंध में औपनिवेशिक युग के कानून पर किसी उपयुक्त मंच द्वारा पुनर्विचार किए जाने तक नागरिकों के हितों की सुरक्षा के मुद्दे पर 24 घंटे के भीतर वह अपने विचार स्पष्ट करे। शीर्ष अदालत राजद्रोह संबंधी कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।