बदलते रिश्ते

बदलते रिश्ते में फिर कभी सावन नही आया,

बरसात तो आई फिर कभी हरियाली नहीं आई,

बदलते रिश्ते में फिर प्यार बेशुमार नहीं आया,

जिसे हमनें हमसफ़र बनाया वो दोस्ती के भी काम नहीं आया,

नफ़रत के बीज ने भी तरह- तरह रंग दिखाया

जिसे कभी चांद - सितारा कहा,

उसने सूरज से भी ज्यादा जलाया

बिगड़े हालात पर फिर कभी काबू न पाया,

नफ़रत की दुनियां भी अखबार में खूब छपाई

गिफ्ट से लेकर कमरे की चर्चा कोर्ट में बहुत चलाई

मेरी जिंदगी का हिस्सा

सांसे भी ख़ूब चुराई

प्रतिभा जैन

टीकमगढ़ मध्यप्रदेश