नेता ऐसा जीव है, जिसपर निर्भर देश ।।
जिसपर निर्भर देश, वही दीमक बन खाता।
हो कैसे उद्धार, बता दे तू ही दाता ।।
जनता होती त्रस्त, दिखे सब उसको धुँधला ।
नेता खाता माल, लिए तन उजला उजला ll
बोले मीठे बोल सब, अंतस धरते पाप।
काले धन सा ही लगे, वो मुझको अभिशाप ।।
वो मुझको अभिशाप,लगे कुछ मानो ऐसा।
धारण साधू वेश, किए हो रावन जैसा ।।
करते छल संताप, पोल जब कोई खोले।
होता है फिर द्वंद, सत्य जो कोई बोले ll
होते नेता हैं सभी, अंदर से इक साथ।
बोले तीखे बोल पर, सम्मुख जोड़े हाथ l।
सम्मुख जोड़े हाथ, पीठ पर खंजर भोंके।
कौन करे विश्वास, देत जो इतने धोखे l।
करके गंगा स्नान, पाप वो अपने धोते।
बोले जय श्री राम, हृदय से काले होते l।
मंजू कुशवाहा
नोएडा उत्तरप्रदेश