उसे ज्योती कहते हैं ।
बुझी हुई शमा को
जला दे उसे ज्योती कहते हैं ।
कमजोर को बलवान
बना दे उसे ज्योती कहते हैं ।
निरबल को पहलवान
बना दे उसको ज्योती कहते हैं ।
अशिक्षित को शिक्षित कर दे
उसको ज्योती कहते हैं ।
मायूस को खुशियों से भर दे
उसको ज्योती कहते हैं ।
निर्भयता का पाठ पढ़ा दे
उसको ज्योती कहते हैं ।
मुसीबत को भगा दे उसको
ज्योती कहते हैं।
परेशानी को दूर कर दे
उसको ज्योती कहते हैं ।
कोई नहीं जानता है
उसको मशहूर कर दे
उसको ज्योती कहते हैं ।
ईमानदारी का पाठ पढ़ा दे
उसको ज्योती करते हैं ।
शराफत से जीना सिखा दे
उसको ज्योती करते हैं ।
पत्थर से राई को लड़ा दे
उसे ज्योती कहते हैं ।
अधर्मी को हरा दे उसको
ज्योती कहते हैं ।
मायूसी के आलम में
खुशियों का फूल खिला दे
उसे ज्योती कहते हैं ।
जहां नफरत के बीज
उगे हैं वहां मोहब्बत के
दरिया को लहरा दे
उसको ज्योती कहते हैं ।
✍️अशोक पाल
रामनगर, उत्तर प्रदेश ,भदोही
नंबर 7 383385320