आए जमाना फोन का, पत्राचार अब दूर।
मैसेज से बातें करें, हमसे आज हजूर।।
घरवालों से अधिक तो, करे फोन पर बात।
किसी और की सुनें नहिं, लगे रहे दिन रात।।
बच्चों के अब हाथ में, रहे फोन महाराज,
शिक्षा के भी हो रहे, मोबाइल से काज।।
गूगल पर मिलने लगा, दुनिया भर का ज्ञान।
पूछे कोई अब कहां, बनें सभी विद्वान।।
मोबाइल तो बन गया, जीवन का अब सार।
बिन इसके अब तो लगे ,सूना सब संसार।।
बसआज सभी के साथ की, मोबाइल है शान।
आवश्यकता बन गया, बंदे तू पहचान।
दोस्त यहां पर दूर के, मिलते हैं भरपूर।
जी भर बातें कीजिये, करो न खुद से दूर।।
घर में ही सब बैठकर ,करें फोन पर बात।
सोचे है अब तो सभी, कैसी यह शुरुआत।।
मोबाइल से अब रहे, नहीं जरा भी दूर।
सुबह शाम संदेश हो, मन लगता भरपूर।।
आवश्यकता है बड़ी, सुंदर सा अविष्कार।
बिना फोन अब तो लगे, जीवन यह बेकार।।
फोन बना है आजकल, जीवन का एक अंग।
इसने बदले हैं यहां , रहन सहन के ढंग।।
तकनीकि शिक्षा का बना, सुंदर तम उपयोग।
जरा संभल कर कीजिए, इसका सभी प्रयोग।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा