तू हारा नहीं हैं मुश्किलों से कभीअभी तू लड़,
कचरे मिलेंगे तुझको उसमें मिलेंगे मोती,
कचरे से क्या लेना, तू मोतियों को पकड़,
पता नहीं कहां काम आ जाये तेरे कोई,
कम से कम अच्छे-अच्छे दोस्त बना, अरे
मतकर अगर-मगर कम से कम मित्रता कर,
हारा वही जो आज तक नहीं लड़ा,
कंटकाकीर्ण मार्ग हों पर तू नहीं डिगा,
सतत प्रयास कर- तू सतत प्रयास कर,
जो मिलें उसे पा ले, तू फिर प्रयास कर,
मुड़मुड़ कर ना देख कितना चला है तू,
मंजिल रख निगाह में सदा आगे बढ़ा तू,
जो चुप बैठा है उसकी खामोशियों को पढ़,
तू हारा नहीं मुश्किलों से कभी, अभी तू लड़,
मुश्किलों से लड़, अभी तू लड़, अभी तू लड़, !
- मदन वर्मा " माणिक "
इंदौर, मध्यप्रदेश