डॉ. राम लखन सिंह वरिष्ठ शस्य वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र ने नैनो यूरिया के महत्व एवं प्रयोग की जानकारी दी । उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन, ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई और हरी खाद उत्पादन तकनीक की जानकारी दी । उन्होंने बताया ढैंचा बुवाई का उत्तम समय चल रहा है । ढैंचा बीज की 16 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से बुवाई करना चाहिए । बुवाई के 6 सप्ताह बाद ढैंचा फसल की पलटाई कर खेत में पानी भर देते हैं । जिससे ढैंचा की फसल सड़कार खाद का काम करती है ।इसे हरी खाद कहते हैं ।
डॉ. मनोज कुमार सिंह उद्यान वैज्ञानिक ने सब्जियों में नैनो यूरिया के प्रयोग की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया की 2 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर खड़ी फसल में छिड़काव करें । उन्होंने कार्बनिक खादों के महत्व एवं प्रयोग की जानकारी दी ।
बृजेश कुमार अपर जिला सहकारी अधिकारी,प्रमोद कुमार मिश्रा सहायक विकास अधिकारी सहकारिता, राम सजीवन सहायक विकास अधिकारी छपिया आदि ने प्रतिभाग कर खेती संबंधी जानकारी दी । प्रगतिशील कृषकों इंद्रमणि त्रिपाठी, बाबूराम यादव, मेलाराम आदि ने प्रतिभाग कर खेती संबंधी जानकारी प्राप्त की ।