पुलकित अधरों ने किया है आज इशारा।
तरुणी तेरी रजतकरों का मुझको सहारा,
चंचल चितवन तेरे, यौवन ज्यों मधुशाला।
सरस बोल,सुभग कर प्रीत की अप्रतिम बाला,
वेणी बँधन का मोहपाश ज्यों पी रहा हूँ हाला।
तू ही प्रभाकर की आलोकित रश्मि नभ तारा,
तू ही है क्षितिज की रौशन चाँदनी सितारा।
सुखद अनुभूति प्रेम की तू अद्भुत दोशाला,
प्रीत की तपन में पिघल जाये दिल का ताला।
रीमा सिन्हा (लखनऊ)