गिरेगा,लड़खायेगा,चोट खायेगा,
पंख फैलाएगा तो उड़ना भी सीख जायेगा।
यूँ तटों पर बैठकर कुछ ना कर पायेगा,
दरिया में छलांग लगा तैरना भी सीख जायेगा।
इरादे हों बुलंद तो कुछ भी कर जायेगा...
जो तोड़ रहे आज तेरे मनोबल को ,
वह खुद टूट जायेंगे एक दिन ।
हिम्मत का थाम ले दामन,
हो जायेगा का सब कुछ मुमकिन।
निशा के सपनों को दिन में साकार पायेगा,
इरादे हों बुलंद तो कुछ भी कर जायेगा...
हौसले जब उड़ान भरते हैं,
विशाल सुन्धु से भी राह निकलते हैं।
प्रस्तरों को चीरकर बहते हैं प्रपात,
कर ले तू इस बात को आत्मसात,
कोई ना तुझे रोक पायेगा।
इरादे हों बुलंद तो कुछ भी कर जायेगा...
जिस धरा का आधार तू,
पुकार रही कर उद्धार तू।
जिस व्योम ने तुझको सींचा है प्यार से,
तरस रहा सलिल कण को मनुजों के अत्याचार से।
उठा गांडीव तू अर्जुन सा वाण चलायेगा,
इरादे हों बुलंद तो कुछ भी कर जायेगा...
रीमा सिन्हा (लखनऊ)