और अधिक सुन्दर हो जाए

उनकी कोशिश आसमान कुछ,

और अधिक सुन्दर हो जाए।

चाह हमारी यह  जहान कुछ,

और अधिक सुन्दर हो जाए।


सूरज का सुख कुछ महलों को,

देने वालों यह भी सोचो,

धनिया रजिया का बिहान कुछ,

और अधिक सुन्दर हो जाए।


डाइट का प्रोग्राम बताने,

वालों यह कोशिश करिए,  

आमजनों का खानपान कुछ,

और अधिक सुन्दर हो जाए।


जन्नत को जमीन पर लाने,

का सपना दिखलाएं लेकिन,

हर जर्जर मकान पहले कुछ,

और अधिक सुन्दर हो जाए।


खास जनों को  खास सुरक्षा,

देने से पहले साहब जी,

बस्ती का अमनो अमान कुछ,

और अधिक सुन्दर हो जाए।


मजबूती से फिर ज़िन्दा हों,

छोटे और मझोले उद्यम,

छोटी छोटी हर दुकान कुछ,

और अधिक सुन्दर हो जाए।


भाषण में अरसे से सुन्दर,

है लेकिन यह कोशिश हो,

बाजारों में भी किसान कुछ, 

और अधिक  सुन्दर हो जाए।


पारिजात, बेला, गुलाब के,

दीवानों अब से यह सोचो,

पहले गेंहू, चना, धान कुछ,

और अधिक सुन्दर हो जाए।


पुरखों की यादों में जामुन,

आम, सेव, अमरूद रोपिए,

पा जिसको  सुन्दर सिवान कुछ,

और अधिक सुन्दर हो जाए।


-धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव