हर मां बाप की आशा होती है कि उसकी संतान पढ़ लिखकर उसको अच्छा ओहदा मिले । कोई मां बाप अपनी संतान को चपरासी नहीं बनाना चाहता है । कमलेश के मां बाप तो बचपन में ही गुजर गए । कमलेश की सारी पढ़ाई का खर्चा उसके बड़े भाई ने उठाया । कोई कसर पढ़ाने में नहीं छोड़ी गई परंतु कमलेश का मन पढ़ाई में नहीं लगा ।
बीटेक की पढ़ाई में लगभग 3 लाख वार्षिक का खर्चा था उसने अपने शौक को त्याग कर पैसा भी एकत्रित कर लिया था ।अब सारा दारोमदार राहुल के रिजल्ट पर था । वह इसी उधेड़बुन में था कि अचानक गुड़िया चिल्लाने लगी -"भैया का रिजल्ट आ गया ।भैया का रिजल्ट आ ।गया । मेरा भी रिजल्ट आ गया । "
पर यह क्या परसेंटाइल 85 ही आई । 90 परसेंटाइल पर ही अच्छे संस्थान मिल सकते है ।गुड़िया तो 90 परसेंटेज से पास हो गई थी ।कमलेश का पारा सातवें आसमान को छू गया " यह क्या ! तुमको पढ़ाने के लिये सब प्रयास किये ।80,000 रूपए की कोचिंग भी कराई । 12 वीं तक अच्छे स्कूल में पढ़ाया ।और रिजल्ट ऐसा !"
लागातार वह राहुल को डांटें जा रहा था । पर नई पीढ़ी शायद सुनने को आदी नहीं थी अब राहुल के सब्र का बांध भी टूट गया "आप मुझे कोश रहे है । आपने क्या किया ? जब ताऊ जी ने जी जान से आपको पढ़ाया और आप भी ताऊ जी की आशा पर खरे नहीं उतरे । चपरासी ही बन पाए और आप मुझसे आशा करते है ।"
राहुल का अप्रत्याशित उत्तर सुनकर कमलेश की बोलती बंद ---- "। वह अवाक सा रह गया था ।
बेटे का अनुकूल रिजल्ट न आने से अब उसकी नजरें बेटी पर जा टिकीं ।
डॉ० कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
राव गंज ,कालपी ,जालौन