चिड़िया उठकर,
गीत खुशी के गाती है।
जब यादों की
खुशबू की लहरें,
मन मस्तिष्क पे छाती हैं।
जब ठंडी ठंडी
हवा के झोंके,
तन को मेरे छू जाती हैं।
जब छम छम बूंदें
गिर गिर कर,
मेरे नैनों के
उर भर जाती हैं।
जब यादों की बिजली
चम चम कर,
मेरे उर को चमकाती है।
ऐ सखे! बताऊं कैसे
कि तेरी याद
बहुत तड़पाती है।
अंजना मिश्रा
सिकरहटा,भाटपाररानी,देवरिया
उ0प्र0-7571860552