क्यों उलझते हो
धर्म और विज्ञान में
दोनों का अपना कर्म है
दोनों का अपना धर्म है
विज्ञान सुविधाएं ही देगा
धर्म आत्मा रूपी वसन धो देगा
दोनों सम नहीं चल सकते
दोनों एक जगह रह सकते हैं
अगर तुम शोध करोगे
पुष्पक विमान किस से उड़ा
क्या प्रयोग किया गया
डीजल पैट्रोल या गैस
कोई हल नहीं निकलेगा
बस यह प्रश्न प्रश्न रहेगा
कैसे उड़े हनुमान
कैसे ले आए विशाल पर्वत
यह ईश्वरीय शक्ति है
विज्ञान को इसमें लाते हो
प्रश्न उपजा कर मन में
क्यों अशांति लाते हो
तीरों को देखा शक्तिशाली
कोई बम नहीं लगे थे उनमें
आएगा अंत दुनिया का
कोई भी विज्ञान बचा न पाएगा
ज्ञान दूषित कर लोगे
ईश्वर पर आरोप लगाकर
सीता के पिता का नाम चाहिए
माता का भी तो नाम नहीं था
यूँ तो बहुत प्रश्न हों
पर राम पर कोई प्रश्न नहीं है
चलो मानवता के रास्ते
सच्चा धर्म यही है
न अब सीता वाल्मीकि ऋषि हैं
पहले रावण एक था अब कई हैँ
क्यों उलझते हो धर्म से
आत्मा शुद्ध हो धर्म यही है
न हर पत्थर में राम है
न हर पत्थर में सीता है
क्योंकि जैसी रही जिसकी भावना
वह उन भावों से जीता है
प्रश्न उठे लव कुश पर
तब राम एक राजा थे
भगवान नहीं होते गर राम
अदालतें तो और भी थीं
इतनी ताकत थी सीता में
सारे देव आ जाते धरा पर
सीता ज्ञानी माँ सीता थी
बुलाई सिर्फ धरती माँ थी
जिस नाम से पशु पक्षी तर जाएं
राम नाम जुबां पर हर वक्त आए
विज्ञान को विज्ञान रहने दो
न छेड़ो धर्म को ईश्वर कृपा रहने दो
धर्म से टिकी है यह दुनिया
प्रलय की विज्ञान दवा नहीं है
पूनम पाठक "बदायूँ "