जो अधर कह न पाते हैं,कलम लिखती हर वो बात।
एकाकीपन में मेरी सहेली ये बन जाती है,
उलझे शब्दों को जोड़कर कविता ये बनाती है ।
जितनी नाज़ुक उतनी शख़्त होती इसकी धार,
तलवार से भी तेज़ ये करती है वार।
इतिहास गवाह है इसने आज़ादी हमें दिलायी थी,
जोश भरे शब्दों से क्रांति की लहर जगायी थी।
कलम की ताकत का अंदाज़ा इस बात से लगा लें,
एक हस्ताक्षर काम बनाये या जंग ये करवा दे।
दुनियां के लिए कलम तू ज्ञान ही ज्ञान है,
मेरे लिए हर पल साथ निभाने वाली दोस्त महान है।
तुझ बिन मैं अधूरी हूँ,ज्यों सागर बिन नदिया।
मेरे ख्वाबों में पंख लगाती सजाती मेरी दुनियां।
रीमा सिन्हा (लखनऊ)