हम तो है सिर्फ, सबकी यहाँ नफरत लायक।।
कह दो सबसे यहाँ आप ,अब तो ऐसा।
नालायक जी आजाद, नालायक जी आजाद।।
आपके लायक नहीं हम--------------------------।।
हमने किया है काम, ऐसा जमीं पर।
नहीं कर सकेगा कोई ,ऐसा जमीं पर।।
राम की सीता को , वन से चुराकर।
बन गए रावण हम तो, इस जमीं पर।।
कह दो सबसे यहाँ आप, अब तो ऐसा।
नालायक जी आजाद ,नालायक जी आजाद।।
आपके लायक नहीं हम-------------------------।।
वादा खिलाफी करके, पाप हमने किया है।
दिल के करीबी को, बदनाम हमने किया है।।
उसने ऑंसू बहाये, हमको मनाने के लिए।
हमने लेकिन उसको , बहुत ही दर्द दिया है।।
कह दो सबसे यहाँ आप, अब तो ऐसा।
नालायक जी आजाद, नालायक जी आजाद।।
आपके लायक नहीं हम------------------------------।।
भूल गए हैं हम तो, अपनों के भी अहसान।
कभी दिया नहीं हमने, माँ बाप को सम्मान।।
ख्याल नहीं कुछ भी हमको, अपने वतन का।
बन गए हैं हम तो , यहाँ एक बेशर्म इंसान।।
कह दो सबसे यहाँ आप, अब तो ऐसा।
नालायक जी आजाद, नालायक जी आजाद।।
आपके लायक नहीं हम------------------------।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां (राजस्थान)