केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पहले जहां 3.3 बिलियन (330 करोड़) यूनिट की मांग थी वह 3.5 बिलियन (350 करोड़) यूनिट हो गई है। वर्तमान में 21.22 मिलियन (2.12 करोड़) टन कोयला पावर प्लांटों में है और 72 मिलियन (7.2 करोड़) टन कोल इंडिया व अन्य के पास है। पावर प्लांटों के पास अभी दस दिनों के लिए कोयले का स्टाक है, लेकिन इससे कमी जैसी कोई बात नहीं। नियमित उत्पादन हो रहा है और आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद में टीम जुटी है। कोयला आपूर्ति की निरंतरता बनी रहेगी।
राज्य में पिछले करीब एक माह से अघोषित बिजली कटौती बढ़ गई है। ग्रामीण इलाकों में रोजाना दो से ढाई घंटे और शहरी क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में डेढ़ से दो घंटे बिजली काटी जा रही है। रायपुर के औद्योगिक क्षेत्रों उरला, सिलतरा, रावाभांटा आदि में कटौती कुछ ज्यादा है। उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विन गर्ग ने कहा है कि यदि यही हाल रहा तो उद्योगों में तालाबंदी की स्थिति पैदा हो सकती है।
मध्य प्रदेश में बिजली की मांग के बीच कमी बरकरार है। गुरुवार को मांग के मुकाबले करीब 660 मेगावाट बिजली की कमी दिन में हुई। इसकी भरपाई ग्रामीण इलाकों में अघोषित बिजली कटौती से करनी पड़ी। कुछ पावर प्लांट में कोयला कम पड़ने से उत्पादन घटाना पड़ा। दिन में सर्वाधिक 12200 मेगावट की मांग रही और 11540 मेगावाट की आपूर्ति हुई।
उत्तराखंड में बिजली संकट बना हुआ है। गर्मी के कारण बिजली की मांग में भारी वृद्धि हुई है, जबकि उपलब्धता मांग के अनुरूप नहीं है। बाजार से बिजली खरीद के बावजूद बिजली की कमी बनी हुई है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों और उद्योगों में दो से ढाई घंटे बिजली की कटौती की जा रही है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से कटौती में कमी आई है।
झारखंड सरकार के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार का कहना है राज्य में बिजली आपूर्ति में सुधार जारी है। अतिरित बिजली के लिए भी दामोदर वैली निगम (डीवीसी) को निर्देशित किया गया है। गर्मी बढ़ने से तकनीकी परेशानी बढ़ी है। इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से राज्य को बिजली की अपेक्षा है। फिलहाल निर्धारित मांग के अनुरूप एक्सचेंज से बिजली नहीं मिल पा रही है। यहां प्रतिदिन 2500 मेगावाट बिजली की मांग है, लेकिन आपूर्ति 2100 तक ही होती है। शहरों में चार से पांच और गांवों में छह से सात घंटे की बिजली कटौती हो रही है।