अर्जी

मर्जी तेरी हो जाए

अर्जी मेरी लग जाए।

आऊं दर पर तेरे तो

सुनवाई मेरी हो जाए।


मर्जी के बिना तेरी

पत्ता भी नहीं हिलता।

तू प्यार का सागर है

तुम बिन प्यार नहीं मिलता।


अर्जी लगाऊँ मैं तो

दिन रात तेरे दर की।

नजर डाल इधर भी ,

अर्जी कबूल हो जाए।


बड़ी मुद्दत से मेरी

मिलने की आशा है।

बुलाले दर पर अपने।

यही आस हमारी है।


         रचनाकार ✍️

         मधु अरोरा