छोटी सी अभिलाषा
बँधे आपकी कलाई पर
मेरे नेह का धागा।
सपनों में तो बांध चुकी हूँ
मांथे तिलक लगा चुकी हूँ
सपना बन जाये हकीकत
इतनी सी अभिलाषा
बँधे आपकी कलाई पर
मेरे नेह का धागा।
न जाने कितने रूपों में
मैंने आपको पाया
अंतर्मन में पर मैंने
रिश्ता भाई का सजाया।
प्रभु ये मुराद पूरी कर दे
आपको मेरा भाई बना दे
इतनी सी अभिलाषा
बँधे आपकी कलाई पर
मेरे नेह का धागा।
मुमकिन ना हो इस जीवन में
दूजे जन्म में है आशा
ताकि हक से बंधे फिर
आपकी कलाई पर
मेरे नेह का धागा।
गरिमा राकेश गौतम 'गर्विता'
राजस्थान