बतलाओ तुम कब हुआ ।
बहा सदा इंसानों का खून
इसलिए उसको युद्ध कहाँ।
जब आ जाए अहम मन में
मैं मै बस छा जाता।
तब वही अहंकारी सा बन
समझ किसी को ना पाता।
युद्ध से कब कल्याण किसी का
यह तो रहा सदा विनाश कर।
महाभारत के युद्ध में देखो
धरती लाल कर डाली।
युद्ध से मिट्ती मन की शांति
क्रोध ज्वार सब है बढ़ता।
प्रकृति का विनाश होता
मानव देखो कहां पनपता।
काम की शक्ति कम हो जाए
युद्ध के भाव जो मन में लाएं।
युद्ध से बढ़ती विपदा भारी
यह तो है बस विनाशकारी।
लाशे लाशे हो चहुँ ओर
मानवता का ह्रास यहां।
किस पर शासन बोलो करोगे
मानव का फिर नाम कहांँ।
युद्ध का क्या कोई परिणाम
शांति का बस होता नाश।
युद्ध तो मानव पतन का कारण
इससे कहाँ हुआ उत्थान ।
रामायण महाभारत का युद्ध
देखो हमें सिखा गया।
अत्याचार बड़े धरती पर
तब तब होता विनाश यहांँ।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा