दूसरे की आस न कर ।
स्वप्न टूटे-सी लगेगी ,
जिन्दगी का नाश न कर ।।
फूल क्या डाली लगा ,
धरा लगी पुकारने ।
धरा समेटे गोद में ,
माली लगा बुहारने ।।
वो चला है, वो चला है ,
फूल देखो लाश बनकर ।
स्वप्न टूटे-सी लगेगी ,
जिन्दगी का नाश न कर ।।
अरे ! अभी तो वो चला था ,
ये कहां से आ गया ।
कौन से क्षण कौन आया ,
गीत कौन सा गा गया ।।
देख ली सब बात सबकी ,
जो चले थे साथ बनकर ।
स्वप्न टूटे-सी लगेगी ,
जिन्दगी का नाश न कर ।।
थी जवानी , बन्द आंखे ,
अरे ! जवानी कहां गई ।
पात पीला गिर गया ,
और बात सबकी धरा गई ।।
क्या मिलेगा पल दो पल में ,
जी रहे है यूं ही तनकर ।
स्वप्न टूटे-सी लगेगी ,
जिन्दगी का नाश न कर ।।
मुकेश बोहरा अमन
बाड़मेर राजस्थान