वही कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये कार्यक्रमाध्यक्ष खण्ड शिक्षा अधिकारी अजय विक्रम सिंह ने बताया कि विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान प्रारंभिक स्तर पर कर लेने से सही समय पर बच्चे को उचित इलाज मिल सकेगा। जिससे बच्चों में दिव्यांगता का प्रतिशत या तो बिल्कुल या आंशिक रूप से समाप्त किया जा सकेगा । तथा उन बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकेगा।
विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों की शारीरिक बाधाओं की स्क्रीनिंग संदर्भ दाता पूर्णेश शुक्ल ने प्रशिक्षण के दौरान कहा कि आरंभिक अवस्था में बच्चों में व्याप्त विभिन्न बाधाओं या विशिष्ट आवश्यकताओं की पहचान कर आसानी से निदान या उपचार के साथ बाधाओं की दर को न्यूनतम किया जा सकता है। और प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्पेशल एजुकेटर राधेश्याम, गिरिजेश कुमार व अनीता मिश्रा ने भी संदर्भदाता की भूमिका का निर्वहन किया।