"आप कह रहीं तो अवश्य अच्छा होगा शिक्षण। परिवार में बड़ा संकट है।" अनिल सर की आँखों में आंसू थे।
"इतनी श्रेष्ठ शिक्षण कला और संकट।" रेणु चलते -चलते सहानुभूति -वश रुक गई।
"प्राइवेट स्कूल है यह। ६००० / में ९ बजे सुबह से ३ बजे तक ५ वर्ग लेना है। सीमा सुरक्षा बल का सेवा-निवृत्त सैनिक हूँ। ६ सदस्यों का परिवार। २ वर्ष पूर्व बेटा दुर्घटना ग्रस्त होकर कृत्रिम पैरों से चल रहा है।"
"पेंशन की छोटी रकम आधी हो गई,पत्नी की बीमारी में बैंक से ऋण लेना पड़ा था, अभी ४ वर्षों तक हर महीने १० हज़ार रुपये हाथ में आएंगे। पत्नी भी नहीं रही।"
"प्राइवेट स्कूल में पढ़ाकर घर सँभालने की कोशिश करता हूँ, जो वेतन का ४० प्रतिशत भुगतान करता है,वह भी डेढ़ मास पर।"
"तीन ट्यूशन साइकिल से जाकर पढ़ाता हूँ, १५०० रुपए आते हैं ,संकट में परिवार की गाड़ी चल रही है। बेटी शादी के योग्य है।"
"लड़के वाले बैठने को नहीं पूछ्ते। बेटे का परिवार मुझ पर निर्भर है।"
रेणु ने कहा, "साहस की पूँजी न छोड़ें, सर।"
"समाज में निर्धन विवशताएँ होती हैं।" बुद्धिजीवी का स्वर था।
"कर्म का फल भोगना ही पड़ता है।" धर्मवेत्ता कह रहे थे।
@ मीरा भारती,
पुणे,महाराष्ट्र।