हटा दें हर गिले शिकवे, की ये दीवार होली में।
ये सारे रंग फीके हैं,न जब तक साथ हो तेरा।
मुझे भी प्रेम के रंग में रंगो इस बार होली में।
ये फागुन यूं ही बीता जा रहा है, आप बिन साजन।
मेरे पास आ के मुझ पर भी,लुटा दो प्यार होली में।
नए पत्तों से कर श्रृंगार,सारे वृक्ष सज बैठे।
जिधर भी देखिएगा, बह रही रसधार होली में।
खिले टेसू खिली सरसो,है महकी आम की बगिया।
चमन में हो रही है हर तरफ, महकार होली में।
पिया को देखकर मुख पर,जो आया रंग मत पूछो।
कि गोरी ने किया है प्रीति का श्रृंगार होली में।
हैं फूली बालियां गेहूं कि, मचले फाग होंठों पर।
गगन बरसा रहा है चंद्रमा से प्यार होली में।
जरा सा रंग लगने दो,जरा सा पास आने दो।
सजन हैं कर रहे ये,सजनी से मनुहार होली में।
गले मिलकर सभी यह कह रहे, होली मुबारक हो।
जगत में हो रहा है,प्रेम का विस्तार होली में।
मुक्ता शर्मा मेरठ