इस पहले ये खबर आईं थी कि अमेरिका, यूरोप, और जापान ऐसे कदम उठाने की कोशिश में हैं, जिनसे क्रिप्टो करेंसियों के जरिए पश्चिमी प्रतिबंधों को नाकाम करने की रूस की कोशिश को रोका जा सके। पिछले हफ्ते जापान सरकार ने क्रिप्टो उद्योग के अधिकारियों से इस बारे में बातचीत शुरू की थी। उसमें यह कहा गया था कि रूसी लोगों के क्रिप्टो लेन-देन पर रोक लगा दी जानी चाहिए। इसके पहले यूरोपियन यूनियन के वित्त मंत्रियों की बैठक में क्रिप्टो संपत्तियों के इस्तेमाल पर ऐसी रोक लगाने पर सहमति बनी थी, ताकि प्रतिबंधों को नाकाम न किया जा सके।
बैंक ऑफ जापान के वित्तीय तकनीक सेंटर के पूर्व प्रमुख नाओयुकी इवाशिता के मुताबिक ये पहला मौका नहीं है, जब क्रिप्टो करेंसियों से ऐसी चिंता पैदा हुई हो। उन्होंने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम को बताया- 2013 में साइप्रस के वित्तीय संकट के समय वहां की सरकार ने पूंजी नियंत्रण (कैपिटल कंट्रोल) के नियम लागू किए थे। तब ये अंदेशा पैदा हुआ था कि बहुत से लोग इस नियम को तोड़ने के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल करेंग। इवाशिता ने कहा- ‘यह पहला बड़ा मौका था, जब क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल मनीलॉन्ड्रिंग के लिए किया गया था। अब पश्चिमी देशों को अंदेशा है कि रूस यही रास्ता अपना रहा है।’
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज की सेवा देने वाली कंपनी एफटीएक्स के सीईओ सैम बैंकमान फ्रायड ने सोमवार को कहा कि उनकी कंपनी इस बात को लेकर काफी सतर्क है कि कहीं क्रिप्टो करेंसियों का इस्तेमाल प्रतिबंधों को नाकाम करने के लिए न किया जाए। उन्होंने टीवी चैनल सीएनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा- ‘अभी तक हमने रूस की तरफ से प्रतिबंध से बचने के लिए ऐसी कोई संगठित कोशिश होते नहीं देखी है। लेकिन अगर ऐसी कोशिश की गई, तो उस पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा।’
इस बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि रूस के कितने लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रखा है। लेकिन क्रिप्टो पेमेंट कंपनी ट्रिपल-ए का अनुमान है कि ये संख्या एक करोड़ 30 लाख तक हो सकती है। यानी रूस की कुल आबादी का 12 फीसदी हिस्सा क्रिप्टो कारोबार से जुड़ा हुआ है। रूसी समाचार एजेंसी तास ने पिछले दिसंबर में बताया था कि रूसी नागरिकों ने पांच खरब रुबल (मौजूदा मूल्य पर लगभग 45 बिलियन डॉलर) का निवेश किया हुआ है।