बड़े - बड़े कोप रोष दोषों से ,
सरलता से जितना आता है ।
माता-पिता के प्रति सत्य निष्ठा,
हरपल निभाना मुझे आता है ।
नित्य निरंतर सब कर्तव्यों का,
व्रत पालन करना आता है ।
मन मधुर वाणी से चेतना का,
सुंदर विकाश करना आता है।
विनीत भाव पूर्वक चरणों में ,
निशदिन शीश झुकाना आता है ।
कष्ट की धूप नेह की छांव पर ,
संवेगहीन रहना आता है ।
मनोभाव धीर सर्वथा रखकर,
हमको प्यार जताना आता है ।
✍️ज्योति नव्या श्री
रामगढ़ ,झारखंड