हिंदुस्तानियोँ पर खूब अत्याचार किया था
देशभक्तों को कालापानी पहुंचा कर
उनके लिए सेल्युलर जेल तैयार किया था
न खाना मिलता था न मिलते थे कपड़े
लोहे की बेड़ियों में रखे जाते थे जकड़े
किसी को फांसी चढ़ा देते थे
किसी को मार देते थे गोली
देशभक्तों के खून से खुल कर
खेलते थे वो गोरे अंग्रेज़ होली
भगत सिंह के दिल में
नफरत ने ऐसा जन्म लिया
पहले लाहौर में सांडर्स की हत्या की
फिर सेंट्रल असेम्बली में बम विस्फोट किया
गर्म मिज़ाज़ के थे तुरंत फैसला लेते थे
एक थपड़ की जगह दो जड़ देते थे
भारत माता जंजीरों में कैद थी
उसको आज़ाद कराना था
जान की परवाह नहीं थी
यह भगत सिंह ने मन में ठाना था
अंग्रेजों के खिलाफ वह आखिर तक लड़े
हिंदुस्तान को अज़ाद कराने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
उनकी लोकप्रियता को देख कर अंग्रेजों ने
फांसी पर चढ़ाने की योजना थी बनाई
भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव की थी टोली
फांसी पर हंसते हंसते चढ़ गए
बोल रहे थे वंदे मातरम और इंकलाब की बोली
बहुत हैरानी है कि जिस भगत सिंह,राजगुरु सुखदेव ने
भारत माता को करवाने आज़ाद
अपनी जान की थी बाजी लगाई
उन देशभक्तों को सरकार
शहीद का दर्जा आज तक नहीं दे पाई
जिन्होंने खाई अंग्रेजों के साथ रस मलाई
उन्होंने देश की बागडोर संभाली
उन्हें याद करना भी अब भारी पड़ने लगा है
जिन्होंने हंसते हंसते फांसी गले लगा ली
धन्य हैं वह वीर सपूत और बलिदानी
ज़िन्दगी त्याग दी आज़ादी के लिए
फांसी चढ़ गए मगर हार न मानी
रवींद्र कुमार शर्मा
घुमारवीं
जिला बिलासपर हि प्र