शिव महापुराण के चौथे दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह देख झूम उठे श्रद्धालु


गोरखपुर : प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अंधियारी बाग स्थित मानसरोवर मंदिर में चल रहे शिव महापुराण के चौथे दिन कथा व्यास बालक दास ने शिव पार्वती विवाह प्रसंग सुनाया। इस दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी भी प्रस्तुत की गई। विवाह की झांकी को देखकर श्रद्धालु झूम उठे और भाव-विभोर हो कर नृत्य करने लगे। कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास ने कहा कि भगवान शंकर बरात के साथ हिमाचल के यहां जाते हैं। हिमाचल उनकी आवभगत करते हैं। बरात तो विलक्षण थी। ऐसी बरात न किसी ने देखी और न देखेंगे। मदमस्त शिव के गण। कोई मुखहीन। कोई विपुल मुख। भस्म लगाए हुए शंकर जी। शंकर जी दूल्हा थे। लेकिन सांसारिक नहीं। वह अविनाशी और प्रलंयकर के रूप में थे। 


सब कहने लगे, दूल्हा भी कभी ऐसा होता है क्या। गले में सर्पहार। शरीर पर भस्म लपेटे हुए। उनको क्या पता था कि वह दूल्हे के नहीं बल्कि साक्षात शिव के दर्शन कर रहे हैं। इससे पूर्व व्यासपीठ की आरती गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, योगी शांतिनाथ के साथ यजमानों ने की। इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर के कार्यालय सचिव द्वारिका तिवारी, अवधेश सिंह, मदन गुप्ता, लालजी सिंह, योगी मुकेश दास, पवन त्रिपाठी, मंटू यादव, अंकुर अग्रवाल, अनूप अग्रवाल, डॉ. रंगनाथ त्रिपाठी, डॉ. प्रागेंश मिश्र, पुरूषोत्तम चौबे, परशुराम तिवारी, शशांक शास्त्री, शुभम मिश्रा, बृजेश मणि मिश्र आदि मौजूद रहे।