सफाई कर्मियों को निर्धारित मजदूरी भी नहीं मिलती

    
बांदा। जनपद बांदा में सभी निकायो में सफाई कर्मचारियों को शासन से निर्धारित मजदूरी नहीं दी जा रही है और शासनादेश के मुताबिक ई पेमेंट से भुगतान नहीं किया जा रहा है। यह आरोप सफाई कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल भारतीय मंगलवार को लगाया।उनके मुताबिक पूरे जनपद में सफाई कर्मचारी की न ईपीएफ की कटौती हो रही है न उनका श्रम विभाग में पंजीकरण कराया गया है, उन्हें मजदूरी देने में भी शासनादेश की अनदेखी की जा रही है वर्तमान में मेरठ में सफाई कर्मियों को 12000 रूपये दिया जा रहा है।
वहीं बांदा में 7500 रुपये नरैनी में 5000 और ओरन, तिंदवारी इत्यादि नगर पंचायतों 5000 से भी कम दिया जा रहा है। इसी तरह सरकार ने 17 फरवरी 2014 को ई पेमेंट के माध्यम से मजदूरी का भुगतान करने के लिए आदेश कर दिया था लेकिन नगर पालिका बांदा और अतर्रा के अलावा जिले की सभी नगर पंचायतों के द्वारा भी ई पेमेंट से भुगतान नहीं किया जा रहा है।अधिकांश नगर पंचायतों द्वारा नगद भुगतान किया जा रहा है इतना ही नहीं जनपद में किसी भी नगर पालिका या नगर पंचायतों में मजदूरों को झाड़ू, तसला, फावड़ा, बेलना, हाथ के दस्ताने, पैर के जूते, वर्दी, माउथवोश, साबुन, तोलिया, नहीं दी जाती है और माह में एक बार होने वाला स्वास्थ्य परीक्षण भी नहीं कराया जाता है।अगर थोड़ी बहुत सुविधा मिलती हैं तो केवल स्थाई कर्मचारियो को शेष संविदा आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को यह सुविधा नहीं मिल पाती हैं उन्होंने बताया कि अतर्रा, नरैनी, बबेरू, बिसंडा और तिंदवारी में दिसंबर 2016 में संविदा सफाई कर्मचारी नियुक्त किए गए थे ईओ नरेंद्र मिश्रा ने सबसे ज्यादा भर्ती की, भर्ती किए गए कर्मचारी अपने घर में सोते हैं।स्वच्छकार समुदाय के लोग उनके स्थान पर सफाई का कार्य करते हैं इस तरह देखा जाए तो स्वच्छकार समुदाय के अलावा उन लोगों का काम भी कर रहे हैं जो घरों में बैठकर बिना काम के वेतन उठा रहे हैं भारतीय ने कहा कि स्वच्छकार समुदाय के कर्मचारियों को अवकाश मिलना चाहिए ।